अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद रायगढ़ ने किया एक शाम देश के नाम

(तिरंगा यात्रा में दिया , अपने हिंदुत्व का छोटा सा परिचय)
रायगढ़ 14 अगस्त 2025 को अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद एवं राष्ट्रीय बजरंग दल के रायगढ़ जिला इकाई ने अपने सनातनी अंदाज में भव्य तिरंगा यात्रा का आयोजन , दोपहर 4:00 बजे , किरोड़ीमल नगर के आजाद चौक से प्रारंभ करते हुए पूरे किरोड़ीमल नगर पंचायत मैं भव्य तिरंगा यात्रा का आयोजन किया। जो लगभग शाम को 8:00 बजे समाप्त हुई।
ज्ञात हो की अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद जिला रायगढ़ , के बैनर तले संगठन के सभी पदाधिकारी एवं सदस्य तथा नागरिकों का एक भव्य जुलूस भारत की आन बान और शान के प्रतिक तिरंगा यात्रा के रूप में किरोड़ीमल नगर के आजाद चौक से प्रारंभ हुई और पूरे नगर पंचायत में भ्रमण करते हुए लगभग 12 किलोमीटर की यात्रा कर वापस आजाद चौक में इसका समापन किया गया । इस पूरे यात्रा के दौरान अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष श्री वरुण सिंह स्कॉर्पियो की छत पर खड़े होकर देश की आन बान और शान के प्रतिक, जिसके रंग महज एक रंग नहीं, बल्कि हमारे पूर्वजों के रक्त रंजित तिरंगा हो। जिसे हम पूरे गर्व से लहराते हैं, आज उसी तिरंगे को श्री वरुण सिंह गर्व से लहराते हुए नजर आए ।
इस पूरी यात्रा के दौरान लोगों की जुबान पर बस यही कहते सुना गया की क्या इस प्रकार की गतिविधियां किरोड़ीमल नगर में भी संभव है ? सुनकर आश्चर्य लगा, कि लोग आजादी के इतने वर्षों बाद भी वास्तविकता से कितनी दूर है, किंतु वह पल गर्विला हो जाता है जब ऐसी प्रभात फेरी अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद के रायगढ़ जिला संस्थापक सदस्य विमल चौधरी, जिला अध्यक्ष वरुण सिंह ,वरिष्ठ उपाध्यक्ष वसंत गिरी, विक्रम सिंह एवं उपाध्यक्ष मनीष शर्मा मंटू सिंह,निरंजन साहू,अनिल यादव,करण पांडे, नितेश पांडे, सुनील तिवारी, अविनाश मल ,सनी मल, ओमप्रकाश पांडे और संस्था के सैकड़ो सदस्यों के द्वारा पूरे जोश और उमंग से तिरंगा यात्रा की प्रभात फेरी निकाली जाती है। और उस प्रभात फेरी में जोश और उमंग का काम करने वाले पूर्व शिक्षक, श्री हृदेस सिंह लगभग अपनी 80 वर्ष की उम्र में माइक हाथों में थाम कर और इस देश के नवयुवकों को संबोधित करते हो , और उन्हें इस बात की याद दिलाते हो कि हमने आजादी कैसी पाई ? और आज यह आजादी अपने किस रूप में विद्यमान है , और हमें आजादी को और कैसे निखार कर आने वाली पीढ़ी को हस्तांतरित करनी है उनके इस विचार को सुनकर युवा पीढ़ी के रोंगटे खड़े हो गए और उन्होंने संकल्प लिया कि हम आजादी के इस अलख को बुझने नहीं देंगे, बल्कि दिन प्रतिदिन अपने जोश और जुनून से इस आजादी के लो नित्य प्रतिदिन बढ़ाने और संजोने का काम करेंगे।
निश्चित ही कहने को तो यह महज एक तिरंगा यात्रा थी, लेकिन इस तिरंगा यात्रा ने बच्चे, युवा और बुजुर्गों को बहुत कुछ सीखाकर याद दिला कर और अपने कर्तव्यों का बोध कराते हुए आगे बढ़ती गई।

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